Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Apr 2021 · 1 min read

*”झरोखा”*

“झरोखा”
यादों का वो हसीन झरोखा
जब नैनो से निहारा।
वो बारिश की रिमझिम फुहारें
झाँकते हुए नजारा।
*********************
वो पेड़ हरे भरे लहराते पल्लव
बलखाते मदमस्त हवा में झूमते।
नील गगन बादलों में रात की चाँदनी निहारते।
अनगिनत तारों में चमकता
जुगनुओं सा बिखराते।
***********************
वो चिड़ियों का चहकना फुदकना
गिलहरी का उछलना कूदना।
भवरों का गूँजन तितलियों का उड़ना फूलों पे मंडराना।
************************
कल्पनाओं की उड़ान भरते
सत्य की खोज आत्मसात करते
झरोखें से बैठे दूर तलक पारदर्शी
दृश्यों को प्रत्यक्ष देखते।
अंतर्मन खालीपन को भरने को
पेड़ों की ताजी शुद्ध हवाएँ लेते।
*************************
झरोखा खुलते ही अंतर्मन शांत सरल हो जाता
जब प्रकृति की हवाओं से मन हर्षित हो जाता
सांसों का ही ये खेल निराला बिना हवा के कैसे रहे ।
मन व्यथित कठिन जीवन परीक्षा की ये घड़ी
गहन अंधकार चहुँ ओर घेर लिया है।
कैसे झांके इन नैनो से झरोखों को वो सुंदर हकीकत ख्वाबों को ….? ?
*********************
शशिकला व्यास✍️

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 560 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आदत से मजबूर
आदत से मजबूर
Surinder blackpen
प्रेम का वक़ात
प्रेम का वक़ात
भरत कुमार सोलंकी
ज़िन्दगी में हर रिश्ते का,
ज़िन्दगी में हर रिश्ते का,
Pramila sultan
शब्द
शब्द
Sangeeta Beniwal
अंतिम सत्य
अंतिम सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
Website: https://dongphucasian.com/xuong-may-dong-phuc-ao-th
Website: https://dongphucasian.com/xuong-may-dong-phuc-ao-th
dongphucuytin123
"बिखरता फूल"
Dr. Kishan tandon kranti
खुदा ने ये कैसा खेल रचाया है ,
खुदा ने ये कैसा खेल रचाया है ,
Chaahat
कठपुतली
कठपुतली
Shyam Sundar Subramanian
क्या ग़ज़ब वाक़या हुआ
क्या ग़ज़ब वाक़या हुआ
हिमांशु Kulshrestha
నమో గణేశ
నమో గణేశ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
प्रशांत सोलंकी
प्रशांत सोलंकी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अन्तस के हर घाव का,
अन्तस के हर घाव का,
sushil sarna
खाक में मिल जाएगा ये मिट्टी का बदन तेरा.......
खाक में मिल जाएगा ये मिट्टी का बदन तेरा.......
shabina. Naaz
■ कडवी बात, हुनर के साथ।
■ कडवी बात, हुनर के साथ।
*प्रणय*
विभेद दें।
विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
यह जीवन
यह जीवन
surenderpal vaidya
इस जीवन के मधुर क्षणों का
इस जीवन के मधुर क्षणों का
Shweta Soni
देखकर आज आदमी की इंसानियत
देखकर आज आदमी की इंसानियत
gurudeenverma198
वह दिन जरूर आयेगा
वह दिन जरूर आयेगा
Pratibha Pandey
दूर कहीं जब मीत पुकारे
दूर कहीं जब मीत पुकारे
Mahesh Tiwari 'Ayan'
सोया भाग्य जगाएं
सोया भाग्य जगाएं
महेश चन्द्र त्रिपाठी
दुनिया अब व्यावसायिक हो गई है,रिश्तों में व्यापार का रंग घुल
दुनिया अब व्यावसायिक हो गई है,रिश्तों में व्यापार का रंग घुल
पूर्वार्थ
राहुल की अंतरात्मा
राहुल की अंतरात्मा
Ghanshyam Poddar
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
Vijay kumar Pandey
सांसों को धड़कन की इबादत करनी चाहिए,
सांसों को धड़कन की इबादत करनी चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
2946.*पूर्णिका*
2946.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*जीवन का सार यही जानो, कल एक अधूरा सपना है (राधेश्यामी छंद )
*जीवन का सार यही जानो, कल एक अधूरा सपना है (राधेश्यामी छंद )
Ravi Prakash
संविधान में हिंदी की स्थिति
संविधान में हिंदी की स्थिति
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
Loading...