Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2019 · 1 min read

ज्येष्ठ माह की दोपहरी —आर के रस्तोगी

देख दोपहरी ज्येष्ठ की,गर्म हो गया गात |
झुलस रहे है सब पेड़ो के नये कोमल पात ||

छाया भी छाया मांग रही ,है बड़ी बैचेन |
छाया को छाया मिल जाये तब आये चैन ||

प्यासा पथिक पूछ रहा है कहाँ मिलेगा नीर |
एक पग चलना है मुश्किल हो रहा वह अधीर ||

सूख गये है सभी सरोवर,मांग रहे है सब जल |
कर रहे विनती वरुण देव से दे दो हम को जल ||

प्यासे पशु पक्षी ढूँढ रहे है मिल जाये उनको पानी |
चारो तरफ निगाहें दौड़ा रहे दिखाई दे कही पानी ||

दिन बडे हो गये है ,छोटी हो गयी है रात |
ऐसी छोटी रात में कैसे होगी पूरी बात ||

गर्म गर्म लू ऐसे चल रही,जैसे शोलो की बारात |
इस ज्येष्ठ माह की दोपहरी,में हो रहे है आघात

आर के रस्तोगी
मो 9971006425

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 554 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all

You may also like these posts

बहुत कुछ बोल सकता हु,
बहुत कुछ बोल सकता हु,
Awneesh kumar
*पीड़ा*
*पीड़ा*
Dr. Priya Gupta
धीरज धरो तुम
धीरज धरो तुम
Roopali Sharma
मैं अंतिम स्नान में मेरे।
मैं अंतिम स्नान में मेरे।
Kumar Kalhans
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
Anil Mishra Prahari
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मंजिलें
मंजिलें
Mukesh Kumar Sonkar
*** चोर ***
*** चोर ***
Chunnu Lal Gupta
अब कोई मफा़दात से हट कर नहीं मिलता
अब कोई मफा़दात से हट कर नहीं मिलता
Kamil Badayuni
यादों की किताब
यादों की किताब
Smita Kumari
#तुझसे बिछुड़ क्यों आया
#तुझसे बिछुड़ क्यों आया
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
HOW MANY TIME , ONE GETS UP AND WALK AGAIN.
HOW MANY TIME , ONE GETS UP AND WALK AGAIN.
Atul "Krishn"
चरित्र अपने आप में इतना वैभवशाली होता है कि उसके सामने अत्यं
चरित्र अपने आप में इतना वैभवशाली होता है कि उसके सामने अत्यं
Sanjay ' शून्य'
दोहे रमेश के करवा चौथ पर
दोहे रमेश के करवा चौथ पर
RAMESH SHARMA
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
डी. के. निवातिया
मुझे नज़र आती है
मुझे नज़र आती है
*प्रणय*
*बदले नहीं है आज भी लड़के*
*बदले नहीं है आज भी लड़के*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
चाँद के माथे पे शायद .......
चाँद के माथे पे शायद .......
sushil sarna
मैं बेवजह ही मायूस रहता हूँ अपने मुकद्दर से
मैं बेवजह ही मायूस रहता हूँ अपने मुकद्दर से
VINOD CHAUHAN
घर और जीवन
घर और जीवन
Saraswati Bajpai
* बाल विवाह मुक्त भारत *
* बाल विवाह मुक्त भारत *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चंद शब्दों से नारी के विशाल अहमियत
चंद शब्दों से नारी के विशाल अहमियत
manorath maharaj
शहर बसते गए,,,
शहर बसते गए,,,
पूर्वार्थ
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
माँ वीणावादिनी
माँ वीणावादिनी
Girija Arora
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
Deepak Baweja
गीत
गीत
Shiva Awasthi
परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ये हक़ीक़त है ज़िंदगानी की,
ये हक़ीक़त है ज़िंदगानी की,
Dr fauzia Naseem shad
"याद के काबिल"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...