ज्ञान युग में भी ज्ञानियों की ओछी सोच
हमारी कथित ‘महान’ भारतीय संस्कृति में लड़कियों की ऑनर किलिंग कोई नई बात नहीं है. ऑनर किलिंग का मतलब होता है-सम्मान के लिए हत्या. हर रोज देश के हर कोनों में इस तरह की दिल दहला देने वाली वारदात घटित होती रहती हैं. इस पर चर्चा भी होती है, हम निंदा भी करते हैं लेकिन ध्यान देने की बात है कि बातचीत के दौरान इन्हीं निंदा करने वाले लोगों की भी मनोभूमि ऑनर किलिंग के बीजांकुरों से भरी पड़ी रहती है. इस देश में जनसामान्य तो जनसामान्य तथाकथित बुद्धिजीवी कहे जानेवाले प्राध्यापक, वकील, पत्रकार, पुलिस अफसर, प्रशासनिक अफसर, न्यायाधीश और नेता भी संकुचित सोच से दूर नहीं हैं. मैंने महसूस किया कि ये लोग बड़ी-बड़ी बातें लिख-बोल लेंगे लेकिन व्यवहारिक धरातल पर इनका भी चरित्र बदला नहीं है. आज भी ये लोग दिल-दिमाग बंद कर ‘राष्ट्रवाद और ‘भारतीय संस्कृति’ के अंध-यशोगान करते थकते नहीं. अगर कोई जरा-सा भी देश की सामाजिक असहिष्णुता या अन्य बुराइयों पर चर्चा करने की कोशिश करे तो ये कथित राष्ट्रवादी झट उसे पाकिस्तान चले जाने का फरमान सुना देते हैं. वस्तुत: ऐसे फरमानी लोग न तो राष्ट्रवादी हैं, न ही बुद्धिजीवी. असल में ये लोग 21वीं सदी के लिबास में आदिम वृत्ति के बर्बर इंसान हैं. अभी हाल ही में देश में हुईं ऑनर किलिंग की दो-तीन घटनाओं ने मेरा मन विचलित कर दिया.
पहली घटना बिहार की है. यह प्रत्यक्ष ऑनर किलिंग की तो नहीं है, लेकिन ऑनर किलिंग के समान ही है. बिहार के खगड़िया सिविल कोर्ट से सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुभाषचंद्र चौरसिया ने अपनी इकलौती बेटी यशस्विनी को संपत्ति से बेदखल इसालिए कर दिया कि उसकी बेटी ने अंतर्जातीय विवाह कर लिया है. चौरसिया मूल रूप से यूपी के बांदा जिले के कोतवाली रोड मोचियाना के निवासी हैं. ऊपर से उन्होंने बड़ी बेशर्मी से मीडिया को लिखित बयान जारी कर कहा-‘हमारी एकमात्र संतान ने हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा को काफी क्षति पहुंचाई है इसलिए मैंने उसे परिवार से बेदखल कर दिया है.’
अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक बेटी के प्रेमसंबंध से नाराज होकर इस पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपनी लड़की को अपने घर में कैद कर दिया था. एक वेबसाइट पर यह खबर प्रकाशित होने के बाद पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी सुनवाई की. गौरतलब है उनकी बेटी पटना की चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से स्नातक है. उसका प्रेम प्रसंग सुप्रीम कोर्ट के एक वकील सिद्धार्थ बंसल से 2012 से चल रहा है. इस बात की खबर जब उन्हें लगी तो उन्होंने अपने ही आवास पर ही उसे बंधक बना लिया. लड़के ने इस मामले में डीजीपी के.एस. द्विवेदी से मिलकर मदद करने और लड़की को बंधक बनाए जाने से मुक्त करने का अनुरोध किया था. अब अदालत के हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझने की दिशा में अग्रसर है.
मध्य प्रदेश में खंडवा जिले के ग्राम चैनपुर सरकार में एक पिता ने प्रेम विवाह करने जा रही अपनी 19 वर्षीय बेटी लक्ष्मीबाई को 20 जुलाई की सुबह मिट्टी तेल डालकर जिंदा जला दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. बताया जाता है कि लड़की कोर्ट मैरिज करने के लिए जब अपनी मार्कशीट लेकर घर से जाने लगी तो आक्रोशित पिता और भाई ने उसे पकड़ लिया और उसके ऊपर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी. वह घटनास्थल पर ही जलकर मर गई जबकि उसके प्रेमी के परिवारवाले शादी से रजामंद थे.
मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के भावनगर की एक अन्य घटना में युवती रिंकी भालसे के घर जाकर उसके भाई और चाचा ने उसके पति तेजकरण को चाकू से मार कर हत्या कर दी. वे उनके अंतर्जातीय प्रेम विवाह से नाराज थे जबकि युवक-युवती अपना दाम्पत्य जीवन खुशी-खुशी बिता रहे थे.
युवती ने पुलिस को बयान दिया है-‘मेरे परिवार ने ही मेरा सब कुछ बर्बाद कर दिया..कल ही मेरी जिंदगी में खुशियां आई थीं. चेकअप के बाद डॉक्टर ने मुङो गर्भवती बताया था. इसकी जानकारी मैंने पति तेजकरण को दी तो वह काफी खुश था, लेकिन यह खुशी चंद घंटों की ही थी. मेरे परिवार वालों ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. मेरे भाई और चाचा को कड़ी से कड़ी सजा मिलना चाहिए.’
ऑनर किलिंग की ऐसी अनेक घटनाएं रोज घटित होती हैं. कुछ सामने आ जाती हैं, बहुत सी घटनाएं तो दबा ली जाती हैं. अंतर्जातीय विवाह करनेवाली लड़कियों को माता-पिता और भाई-बहनों द्वारा उपेक्षित कर देना भी तो ऑनर किलिंग का बीजरूप है. इन घटनाओं से लगता है कि हमारा समाज रहन-सहन और तकनीकी स्तर पर तो तेजी से आधुनिक होते जा रहा है लेकिन वैचारिक आधुनिकता से अब भी कोसों दूर है.
-फेसबुक पोस्ट 1/8/2018 बुधवार