ज्ञान /बोध मुक्तक
मंगलवार दिनांक ०३-१०-२०२३,
प्रदत्त शब्द : ज्ञान/ बोध/समानार्थी
#दोहा मुक्तक
(१)
खुद को कहते हैं सुकवि,नहीं छंद का #बोध।
काव्य-विधा पर कर रहे , बतलाते वह शोध।।
पढ़ें चुटकुले मंच पर,जनता को भरमाय,
करे निवेदन जो सहज,ठुकराते अनुरोध।
(२)
#ज्ञान चक्षु मां खोलिए, मैं मूरख अनजान।
छंद -ज्ञान से दूर हूं, हटता नहिं अज्ञान।।
लघु- क्षीण अक्षरावली, #जानकारियां तुच्छ,
हे मां अब समझाइए,क्या है छंद -विधान।
छंद -#बोध मुझको नहीं, #जानकारियां अल्प।
कवियों में पहचान हो, पूर्ण होय संकल्प।।
पाऊं मैं धन -धान्य भी,मिले शार्ट – कट #ज्ञान,
अटल करे विनती अहो, निकले शीघ्र विकल्प।।
✍️अटल मुरादाबादी🙏