ज्ञान ज्योति
कभी खत्म नही होता
तेरी कृपा का खजाना
तेरी रहमतो का कर्जदार
है सारा जमाना ।
रूठ जाये अगर तू
मुश्किल नही है तुझे मनाना
कृपा करो हे अम्बे गौरी
तेरे चरणो मे रहे मेरा ठिकाना ।
भूल अगर हो जाये अचेतन
क्षमा कर न मुझे रूलाना
जाने तू सब मन की बातें
जिव्हा तो बस एक बहाना ।
सच्चा है दरबार तुम्हारा
जिसने जाना तर जाना
कर्म ज्ञान की ज्योति को
मेरे अन्तर्मन मे सदा जगाना ।।
राज विग 01.05.2020.