ज्ञान गंगा में स्नान कर उत्सव मनाऐ,*
*जिसका मन है चंगा,
वे नहीं लेते पंगा,
वेदना और चेतना,
होती है एक अनुभूति,
.
दोनों एक आभास,
शरीर पीडित है,
चेतना मुक्त है,
आप के अन्दर क्या घट रहा है,
सिर्फ आप गवाह है,
बाहर का सब संसार,
बाहर सब आयोजन है,
फिर कौन कहे,
आप आबाद है के बरबाद,
ज्ञान-गंगा स्नान,
कार्तिक पूर्णिमा,
गुरु नानक जयंती पर
हार्दिक शुभकामनाएं,