जो सरहद पे जाए …
हवाओं में महके कहानी उसी की |
जो सरहद पे जाए जवानी उसी की |
सभी से जो बिछड़े सो घर बार छोड़ा,
वतन की जरुरत पे संसार छोड़ा,
थी सरहद से लौटी निशानी उसी की,
जो सरहद पे जाए जवानी उसी की |
दिलों में बसे हैं वतन के वे जाये,
नसीबी है अपनी फतेह ले के आये,
उफनती जो नदिया रवानी उसी की,
जो सरहद पे जाए जवानी उसी की |
ये अपना अमन चैन कायम है उनसे,
हैं सच्चे वही सब निगेहबान अपने,
हुई सारी दुनिया दीवानी उसी की,
जो सरहद पे जाए जवानी उसी की |
हवाओं में महके कहानी उसी की |
जो सरहद पे जाए जवानी उसी की |
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’