जो व्यवस्था भ्रष्ट हो, फौरन बदलनी चाहिए
जो व्यवस्था भ्रष्ट हो, फौरन बदलनी चाहिए
लोकशाही की नई, सूरत निकलनी चाहिए
मुफलिसों के हाल पर, आँसू बहाना व्यर्थ है
क्रोध की ज्वाला से अब, सत्ता बदलनी चाहिए
इंकलाबी दौर को, तेजाब दो जज़्बात का
आग यह बदलाव की, हर वक्त जलनी चाहिए
रोटियाँ ईमान की, खायें सभी अब दोस्तो
दाल भ्रष्टाचार की, हरगिज न गलनी चाहिए
अम्न है नारा हमारा, लाल हैं हम विश्व के
बात यह हर शख़्स के, मुँह से निकलनी चाहिए