जो लिखता हूं।
जो लिखता हूं वो लबज हो तुम,
जो पढ़ता हूं वो नज़्म हो तुम,
जो करता हूं वो काम हो तुम,
जो सोचता हूं वो खयाल हो तुम,
रातों में जो आती वो याद हो तुम,
जो मांगता हूं वो फरियाद हो तुम,
मेरी मीठी वो खवाब वो तुम,
मेरी सीधी वो बात हो तुम,
सावन की वो प्यारी बरसात हो तुम,
दिसंबर की ठंडी वो बहार हो तुम,
सुन सान सड़क पर वो चलती मीठी सी झनकार हो तुम,
अब झूठ तुम्ही से क्या कहना,
सच कहता हूं वो सच्चा प्यार हो तुम। Shobhit