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25 Jul 2024 · 1 min read

जो लगती है इसमें वो लागत नहीं है।

गज़ल

122/122/122/122
जो लगती है इसमें वो लागत नहीं है।
गरीबों के बस की सियासत नहीं है।1

जो भी पास मेरे कमाया है खुद ही,
कोई खानदानी रियासत नहीं है।2

कहीं जलजला है कहीं आग पानी,
कि इंसान को कोई राहत नहीं है।3

ये माना कि महगाई है आजकल पर,
जो पहले थी अब वैसी गुर्बत नहीं है।4

कमाया है लोगों ने पैसा व शुहरत,
मगर प्यार की अब वो दौलत नहीं है।5

न ही प्रेम राधा न कान्हा सा प्रेमी,
मुहब्बत है बस ये इबादत नहीं है।6

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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