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29 Jul 2021 · 1 min read

जो रुक गए,

जो रुक गए थे कदम मेरे,
तेरी और बढ़ने को

तुम भी तो बड़ा सकते थे
एक कदम,मेरी और चलने को

हर छोटे मोटे झगड़ो पर
मै तुम्हें मनाया करती थी

इस बार मेरे रुठने पर
तुम भी तो कोशिश करते

माना की कुछ खता मेरी भी थी
लेकिन बेगुनाह तो तुम भी न थे

क्या पता आज जिस मोड पर हम खड़े है
उस मोड पर न हम खड़े होते

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 370 Views
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