जो मै नहीं कहता मेरे अश्यार कहते हैं
चन्द अल्फाज मेरे दिल के अफकार कहते हैं
जो मैं नहीं कहता मेरे अश्यार कहते हैं
कोई भी बज्म हो महफिल हो दिल नहीं लगता
बस खामोश आँखों से तमाशों का दीदार करते हैं
हुए वर्षों न हम उनसे इजहार-ए-तमन्ना कर पाये
करने को लाख उनसे हम बातें हजार करते हैं
खुदा साहिद है धोखे से भी हमने मय नहीं पी है
जाने किस अदा पे सब बादाख्वार कहते हैं
M.T”Ayen”