जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
वो पहले मुहब्बत करने का वादा ओढ़ के आएगा
दहलीज़ पर रखा चिराग बुझाना मत सहर देखकर
अंधेरा उजाले का लबादा ओढ़ के आएगा
उसकी स्याह नियत पहचान न पाओगे तुम
बहरूपिया मखमल ज्यादा ओढ़ के आएगा
उसके किरदार पर हजारों इल्जाम लगते हैं
खुदा आया तो लिहाफ सादा ओढ़ के आएगा
तनहा जो शख्स जिस्म से नही रुह से बेपर्दा है
वही शख्स महफिल में रेशम ज्यादा ओढ़ के आएगा