Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2023 · 1 min read

जो मिश्री घोलकर हर आदमी से बात करता है…

जो मिश्री घोलकर हर आदमी से बात करता है
जरूरी है नहीं बस प्यार की बरसात करता है

उतर आते हैं पंछी भूख में कुछ देखकर दाने
कहाँ वे हैं समझ पाते कि कोई घात करता है

देहाती मूर्ख कह लो पर सुनो ऐ आदमी शहरी
तुझे भी पालने का काम यह देहात करता है

यहाँ लगती सदा है दोस्तों मुस्कान की कीमत
ग़मों को इस जहाँ में कब कोई आयात करता है

भला वह भी नहीं ‘आकाश’ दुनिया की निगाहों में
शिकायत दूसरों की जो यहाँ दिन-रात करता है

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 27/02/2023

2 Likes · 112 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भूमि भव्य यह भारत है!
भूमि भव्य यह भारत है!
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
बचपन के वो दिन कितने सुहाने लगते है
बचपन के वो दिन कितने सुहाने लगते है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
"विस्तार"
Dr. Kishan tandon kranti
अंहकार
अंहकार
Neeraj Agarwal
पल पल रंग बदलती है दुनिया
पल पल रंग बदलती है दुनिया
Ranjeet kumar patre
भीमराव अम्बेडकर
भीमराव अम्बेडकर
Mamta Rani
चुनावी युद्ध
चुनावी युद्ध
Anil chobisa
जन्म से मरन तक का सफर
जन्म से मरन तक का सफर
Vandna Thakur
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
मैं तो महज पहचान हूँ
मैं तो महज पहचान हूँ
VINOD CHAUHAN
इतना भी खुद में
इतना भी खुद में
Dr fauzia Naseem shad
मेरी …….
मेरी …….
Sangeeta Beniwal
ज्ञानवान के दीप्त भाल पर
ज्ञानवान के दीप्त भाल पर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जब कोई हो पानी के बिन……….
जब कोई हो पानी के बिन……….
shabina. Naaz
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
bhandari lokesh
" प्यार के रंग" (मुक्तक छंद काव्य)
Pushpraj Anant
कट्टर पंथ वो कोढ़ है जो अपने ही
कट्टर पंथ वो कोढ़ है जो अपने ही
Sonam Puneet Dubey
दूसरों की लड़ाई में ज्ञान देना बहुत आसान है।
दूसरों की लड़ाई में ज्ञान देना बहुत आसान है।
Priya princess panwar
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
सत्य कुमार प्रेमी
असली नकली
असली नकली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
किसने कहा, ज़िन्दगी आंसुओं में हीं कट जायेगी।
किसने कहा, ज़िन्दगी आंसुओं में हीं कट जायेगी।
Manisha Manjari
दीपक माटी-धातु का,
दीपक माटी-धातु का,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मातृशक्ति को नमन
मातृशक्ति को नमन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्रकृति
प्रकृति
Sûrëkhâ
कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
Rekha khichi
खिलेंगे फूल राहों में
खिलेंगे फूल राहों में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
# जय.….जय श्री राम.....
# जय.….जय श्री राम.....
Chinta netam " मन "
■ गीत / पधारो मातारानी
■ गीत / पधारो मातारानी
*प्रणय प्रभात*
"" *आओ गीता पढ़ें* ""
सुनीलानंद महंत
उत्तर
उत्तर
Dr.Priya Soni Khare
Loading...