*जो भी जन भोले-भाले हैं, उनको केवल पछताना है (राधेश्यामी छंद
जो भी जन भोले-भाले हैं, उनको केवल पछताना है (राधेश्यामी छंद)
_________________________
जो भी जन भोले-भाले हैं, उनको केवल पछताना है
कलयुग का असली अर्थ यही, सब उल्टा हुआ जमाना है
बैठ निठल्ले नेता खाते, जनता मूरख बस रोती है
मोटे-मोटे नेताओं को, दुर्बल जनता नित ढोती है
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451