*जो भी अपनी खुशबू से इस, दुनिया को महकायेगा (हिंदी गजल)*
जो भी अपनी खुशबू से इस, दुनिया को महकायेगा (हिंदी गजल)
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1)
जो भी अपनी खुशबू से इस, दुनिया को महकायेगा
सजा मिलेगी वह ही कॉंटे, जन्म-जन्म तक पाएगा
2)
अच्छे कर्मों से धरती पर, पुरस्कार कब मिलते हैं
अच्छे कर्मों वाला जग में, बुरा सदा कहलाएगा
3)
बुद्धिमान बस वही रहे जो, कुटिल हृदय के स्वामी थे
पद-अधिकार समूचा उनके, कदमों में ही आएगा
4)
बदल गई सब परिभाषाऍं, शोषक वह कहलाता है
दया-दान करने जो पूॅंजी, अपनी निजी लुटाएगा
5)
कलयुग कहता है यह लूटो, जेबों को भरना सीखो
जिसका सबल गैंग है वह ही, जग में राज चलाएगा
6)
रखो सदा विश्वास जगत में, कलयुग है क्षण-दो क्षण का
फिर से लेंगे अवतार प्रभो, सतयुग फिर से छाएगा
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451