*जो बेमौत मरा उसकी ऑंखों में भीषण ज्वाला है (हिंदी गजल/ गीतिका)*
जो बेमौत मरा उसकी ऑंखों में भीषण ज्वाला है (हिंदी गजल/ गीतिका)
_________________________
1
जो बेमौत मरा उसकी ऑंखों में भीषण ज्वाला है
उसने ही भक्षण उसका कर डाला जो रखवाला है
2
किसको दें अधिकार किसे अपना आदर्श बताऍं हम
कौन निजी या सरकारी में ज्यादा मन का काला है
3
अधिकारी के उत्पीड़न का चाबुक बहुत बुरा जानो
जब भी चला सभी के मुख पर जड़ देता यह ताला है
4
कैसे शोषण-उत्पीड़न से मुक्ति मिलेगी यह सोचो
जब अधिकारी ही चरित्र का मिलता ढीला-ढाला है
5
पता तभी चलता है दुनिया में फैले अंगारों का
जब पाते हैं चलने वाले पड़ा पैर में छाला है
6
पानी अमृत के समान था लेकिन विष ही कहलाया
चला गया उस ओर जहॉं पर बहता गंदा नाला है
7
दो दिन का अफसोस और दो दिन आक्रोश-सभाऍं बस
यही चल रहा क्रम दुनिया का सबका देखा-भाला है
_________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451