जो बातों से तुमने रिझाया न होता
जो बातों से तुमने रिझाया न होता
तो यूं वक़्त हमने गंवाया न होता
गजल में भला क्यों बयां दर्द करती
अगर प्यार में दिल दुखाया न होता
अगर सर पे जो हाथ होता न माँ का
जमीं पर गगन भी समाया न होता
न नजरों में चढ़ते किसी की कभी हम
फलक में अगर नाम आया न होता
कहीं की न रहती दौर-ए-जहां में
अगर वक्त रहते तू आया न होता
कँवल बेखबर थी जहाँ की खुशी से
अगर प्यार तुमने जताया न होता