जो न उतरे वो नशा हो जायेगा
जो न उतरे वो नशा हो जायेगा
इश्क़ क्या है फिर पता हो जाएगा
इब्तिदा मिलने की होनी चाहिए
फिर शुरू इक सिलसिला हो जायेगा
जिसभी दिन नज़दीक थोड़ा आ गये
ख़त्म सारा फ़ासला हो जायेगा
जुड़ गया गर नाम मेरा आपसे
कुछ मेरा भी नाम सा हो जायेगा
बात ये बिल्कुल ख़यालों में न थी
यार मेरा बेवफ़ा हो जायेगा
जब बहारें लौटकर के आएंगी
ये चमन फिर ख़ुशनुमा हो जायेगा
ज़ीस्त में हैं उलझनें पर ग़म न कर
जीते-जीते हौसला हो जायेगा
आपके महफ़िल में आने से फ़कत
रंगे-महफ़िल दूसरा हो जायेगा
नफ़रतों को दिल में रखना छोड़ दे
रंग चेहरे का बुरा हो जायेगा
बेख़ुदी में मोड़ पर टकरा गये
क्या ख़बर थी हादसा हो जायेगा
देख लेना एक दिन होगा यही
दर्दे-उल्फ़त भी दवा हो जायेगा
दिन ढलेगा शाम जब हो जायेगी
ख़ुद का भी साया जुदा हो जायेगा
क्या ख़बर थी राहे-उल्फ़त में कभी
रेज़ा-रेज़ा दिल मेरा हो जायेगा
ये नहीं मालूम था ‘आनन्द’ को
दिल परिन्दा आपका हो जायेगा
– डॉ आनन्द किशोर