जो दे रहे थे कल स्वदेशी अपनाने की सलाह खुलकर
जो दे रहे थे कल स्वदेशी अपनाने की सलाह खुलकर,
चाइनीज लड़ियाँ सजाई उन्होंने सब बातों को भूलकर।
दूसरों को दे रहे थे बड़े बड़े उपदेश सोशल मीडिया में,
चाइना के माल को सस्ते के चक्कर में गये कबुल कर।
दिवाली पर उन्होंने चाइना के माल से घरों को सजाया,
फिर खिंच कर फ़ोटो सजावट का फेसबुक पर लगाया।
लोगों ने भी सजावट की खूब तारीफ की फोटो देखकर,
पर कमाल है लड़ियों पर किसी ने सवाल नहीं उठाया।
चुपके से खरीद लाये वो चाइना के पटाखे भी बाजार से,
चाइना पर प्रतिबंध लगाओ कहते थे वो कभी सरकार से।
खुद को साबित कर रखा है सबसे बड़ा देशभक्त उन्होंने,
पर विडंबना देखो खुश हैं लोग उनके दोगले व्यवहार से।
रुका नहीं गया मुझसे पूछ लिया मैंने उनसे एक सवाल,
चाइनीज लड़ी लेते वक़्त देश का क्यों नहीं आया ख्याल।
रंग उड़ गया चेहरे का खुद को सँभालते हुए बोले मुझसे,
ये तो हैं पिछले साल की, नहीं ली है कोई लड़ी इस साल।
सुनकर जवाब मैंने कहा खून तुम्हारा उबलता क्यों नहीं,
चीन करता है मदद दुश्मन की, ये तुम्हें खलता क्यों नहीं।
छोड़कर अपने दोगलेपन को आराम से सोचना एक बार,
सुलक्षणा चीन आंतकवाद की आग में जलता क्यों नहीं।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत