जो दूर हमसे हाथ छुड़ा कर चला गया
जो दूर हमसे हाथ छुड़ा कर चला गया
तूफ़ान ज़िन्दगी में वो लाकर चला गया
देखा न एक बार भी क्या हम पे गुज़री है
वो बात अपने दिल की छिपाकर चला गया
तोहफ़ा कहें इसे या कहें हम सज़ा कोई
आँखों में नये ख़्वाब सजा कर चला गया
अंदाज़ बेवफ़ाई का तो देखिए हुज़ूर
इल्ज़ाम सारे हम पे लगा कर चला गया
ग़म के घिरे हुए वो अँधेरों को देखकर
उम्मीद के चराग़ जला कर चला गया
आँखों में अश्क और हैं बेचैनियां बड़ी
कैसी वो आग दिल में लगा कर चला गया
दिल में था चोर ‘अर्चना’ उसके कहीं जरूर
जो वो नज़र हमीं से बचा कर चला गया
23-09-2021
डॉ अर्चना गुप्ता