जो चाहता हूँ वो भूल नही पाता हूँ लौट कर मैं वही आ जाता हूँ
जो चाहता हूँ वो भूल नही पाता हूँ
लौट कर मैं वही आ जाता हूँ
बेवफ़ा की बेवफाई का सितम मैं ही पाता हूँ
चुपके से रोता हूँ, हँसी भूल जाता हूँ
दर्द में ही जीता हूँ,
जाम दर्द का ही पीता जाता हूँ
आगे बढ़ना अक्सर भूल जाता हूँ
मैं खुद को वही खड़ा पाता हूँ
जो चाहता हूँ,वो भूल नही पाता हूँ
तन्हाई में ज़िन्दगी बशर करता जाता हूँ
बीते हुए लम्हो को याद करता जाता हूँ
मैं अक्सर खुद से ही बात करता जाता हूँ
रोता हूँ कभी अक्सर पागल बन
कभी हँस भी जाता हूँ
तड़पता हूँ और घुट घुट के
हर पल मैं मरता जाता हूँ
जो चाहता हूँ भूल नही पाता हूँ
मैं खुद को वही खड़ा पाता हूँ
अक्सर में खुद को भूल जाता हूँ
नाम उसका हर पल गुनगुनाता हूँ
भूलना चाहूं भूल नही पाता हूँ
ख़्वाबों में अक्स उसका देख जाता हूँ
मैं पल पल जीता पल पल मरता जाता हूँ
अपने इर्द गिर्द उसको ही पाता हूँ
जिंदा हूँ खुद को मरा हुआ पाता हूँ
जो चाहता हूँ भूल नही पाता हूँ
मैं खुद को अक्सर वही खड़ा पाता हूँ
भूपेंद्र रावत
3।11।2017