जो चल रहा है
जो चल रहा है
जो चल रहा है
सो चल रहा है
तम की आग में
गण जल रहा है |
जो छल रहा है
वो पल रहा है
सत पथ हमेशा
अब टल रहा है |
न आज रहा है
ना कल रहा है
नेकी बदी का
ना फल रहा है
जो फल रहा है
वो खल रहा है
हरि ही हार को
इक बल रहा है |