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24 Jun 2024 · 1 min read

जो क्षण भर में भी न नष्ट हो

जो क्षण भर में भी न नष्ट हो
ऐसे विश्वास की अमर ज्योति बनो
अपनों के स्नेह को जीवन अमृत सा
पीने वाले ईश्वर के सेवक बनो
जीवन सुंदर है रंग कोई भी हो
हर रंग में रंगने वाले प्रकृति के जीव बनो
अंधेरे हैं प्रकाश के अस्तित्व के लिए
यही सच जान खुद प्रकाश पुंज बनो

प्रद्युम्न अरोठिया

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