जो कहना है,मुंह पर कह लो
मैं क्या हूं? अंबर की चाहत!
फिर तू क्या है ? मेरी चाहत
दुनियांँ का सच? शैतानी है!
तेरा क्या है?मैं हूंँ केवल
बाक़ी दुनियां?इक धोखा है!
जो है दिल में सच सच बोलो…
जो कहना है मुंँह पर कह लो।
मेरा क्या है,तेरा ख़्वाब ही
और हकीकत? तुम धोखा हो।
मैंने सोचा तुम मेरी हो
तुमने सोचा सारी दुनियांँ
सच में खुश हो?तेरी मर्ज़ी
बदल गए हो ,रूह टटोलो
जो कहना है मुंँह पर कह लो।
मेरा गम है? तेरी मर्ज़ी
कुत्ता हूं क्या?जो मैं भौंकूँ!
तुझसे रिश्ता?प्यार भरा था!
अब क्या क्या है? आहें केवल!
किसने दी है?तुमने दी है!
सच सच बोलो झूठ न बोलो
जो कहना है मुंँह पर कह लो।
किसकी चाहत? जागी मन में
किससे हरपल ? बातें होगी
तेरे पीछे दुनियां पागल
फिर मैं क्या हूंँ? सस्ता हूंँ बस
तेरी कीमत बहुत बड़ी है
दौलत से मत मुझको तौलो
जो कहना है मुंँह पर कह लो।
गय का साया? मेरे ऊपर
और उदासी मेरे भीतर
तुमको क्या है?अपना सपना
मुझको क्या है तेरा सपना
सपना क्या है तुमको पाना
और तुम्हीं हो गांठें खोलो
जो कहना है मुंँह पर कह लो।
यहांँ अभागा?मैं हूंँ केवल
मन में तुमपर प्यार भरा है
वर्षों तुमने आस जगाया
समय के साथी तुम बदले हो…
धोखा क्या है? तेरा लहज़ा
और तमाशा? मेरा लहज़ा
छला गया हूंँ,कुछ तो बोलो
जो कहना है मुंँह पर कह लो।
दीपक झा रुद्रा