*जो कहता है कहने दो*
क्या कहते हैं लोग मैं फिक्र क्यों करूं
झूठ कहते हैं लोग मैं ज़िक्र क्यों करूं
जिसने जो कहना है वो कहता रहे
जो मेरा दिल कहे मैं तो बस वही करूं
नहीं छोड़ा लोगों ने तो भगवान को भी
मर्यादा पुरुषोत्तम पर भी सवाल खड़े किए
यूँ ही नहीं गई जंगल में अकेले सीता मईया
लोग ही थे जिन्होंने कई सवाल खड़े किए
सभी खुश होंगे तुमसे ये भूल जाओ
जो करना चाहते हो बस उसी में दिल लगाओ
तुम्हारी भलाई या ख़ुशी उन से न देखी जाएगी
जो साथ न है कोई तो तुम दुख न मनाओ
बढ़ते रहो अपनी मंज़िल की तरफ़
जिसे पाकर तुम्हें दिल से ख़ुशी होगी
लेकर चलना बस अपनों को साथ
जिनके साथ से ये ख़ुशी दोगुनी होगी
होंगे अपने साथ अगर इस राह में
राह ख़ुद ब ख़ुद आसान हो जाएगी
लोग कुछ भी कहे क्या फ़र्क़ पड़ता है
तेरी मंज़िल तुझे ज़रूर मिल जाएगी
फिर भी लोग तो कुछ न कुछ कहेंगे
फ़ितरत है उनकी वो कहां चुप रहेंगे
लेकिन तुम बचना कीचड़ में पत्थर फेंकने से
वरना उसके छींटे तुम पर ही गिरेंगे
जो कहता है उसे कहने दो
जो दूर रहता है उसे दूर रहने दो
किसी को खुशी मिलती है यारों
तुम्हें बुरा कहकर, तो उसे खुश रहने दो।