जो कमाता है वो अपने लिए नए वस्त्र नहीं ख़रीद पाता है
जो कमाता है वो अपने लिए नए वस्त्र नहीं ख़रीद पाता है
वो एक पिता है, पुत्र है, पति है, भाई है
फ़िर भी ज़माना उन्हें समझ नहीं पाता है
गृहस्थी का कैलाश पर्वत वो अकेले उठाता है
_ सोनम पुनीत दुबे
जो कमाता है वो अपने लिए नए वस्त्र नहीं ख़रीद पाता है
वो एक पिता है, पुत्र है, पति है, भाई है
फ़िर भी ज़माना उन्हें समझ नहीं पाता है
गृहस्थी का कैलाश पर्वत वो अकेले उठाता है
_ सोनम पुनीत दुबे