जो उसके लौट आने का पैगाम आ गया
जो उसके लौट आने का पैगाम आ गया
बेचैनियों को थोड़ा सा आराम आ गया
रुसवाइयों के डर से लिया जो कभी न था
अनजाने में लबों पे वही नाम आ गया
बस देखने हमारी ही छोटी सी इक झलक
महफ़िल में भी हमारी वो दिल थाम आ गया
आगे कदम न बढ़ सके, रुक से वहीं गये
जो यादों के सफर में बड़ा जाम आ गया
हम ही वफ़ा निभाते रहे उससे उम्र भर
हम पर ही बेवफ़ाई का इल्जाम आ गया
हमने बहाये अश्क जो उसकी ही याद में
देने उन आँसुओं का भी वो दाम आ गया
नाराजगी है ‘अर्चना’ उससे हमें यही
जब भी बुलाया उसको कोई काम आ गया
ग़ज़ल-710
16-11-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद