जो उसका हाथ सिर पर है तो मुफलिस मुस्कुराता है।
गज़ल
1222……1222…….1222……1222
जो उसका हाथ सिर पर है तो मुफलिस मुस्कुराता है।
अमीरों को कहाँ खुश रहना उनका रास आता है।
ये पैसा नाम औ’र रुतबा, हुआ है कब सदा किसका,
कि राजा रंक होता है, समय ऐसा भी आता है।
अमीरों को मुसीबत में, मदद सरकारी मिल जाती,
मगर मुफलिस को गर्दिश में, गले कोई लगाता है।
वो बच्चे जो गरीबी के, हैं मारे रोटी को तरसें,
बड़े घर का जो बच्चा है, वो पिज्जा रोज खाता है
ये टी वी और शासन की, है लगती कुछ जुगलबंदी,
ये कीमत रोज बढ़ने की, ही खबरें क्यों सुनाता है।
हमारे बीच भाईचारा हो, ये रब की है मर्जी,
तभी तो ईद होली में, गले सबको मिलाता है।
फकीरों की अलग दुनियाँ है, उनकी है अलग मस्ती,
वो प्रेमी हैं खुदा के, यूं ही जीवन बीत जाता है।
……..✍️प्रेमी