जो इश्क अधूरा करते हैं….
उनसा न सिकन्दर है कोई, जो जीत के हारा करते हैं !
बदनाम मौहब्बत उनसे है, जो इश्क अधूरा करते हैं !!
कैसे भुला दिया जाता है,
साँसों के सहवासों को !
कैसे तुम दोहरा लेती हो,
बार-बार अहसासों को !!
तन क्रीड़ा मन की पीड़ा पर,
जब हावी हो जाती है !
इशक के भोलेपन में,
शातिरता रावी हो जाती है !!
कुशल चितेरे बहुत हुये हैं, प्रीत की इस रंगशाला के,
पर यादों के चित्र अनूठे, बनते और मिटरते हैं !
बदनाम मोहब्बत उनसे है, जो इश्क अधूरा करते हैं !!
कुछ शामों को जुगुनू की,
ज़द में रह कर जिया होता !
कुछ अंधेरी रातों का जो,
तुमने सब्र किया होता !!
उम्मीदों के फलक पै बैठा,
पूरा चाँद हमारा था !
मेरी दुनियाँ मेरा हासिल,
सब कुछ यार तुम्हारा था !!
अगर सलीके से की होती, यार मोहब्बत तुमने जो,
तो बतलाते आँख का तारा, बना के कैसे रखते हैं !
बदनाम मोहब्बत उनसे है, जो इश्क अधूरा करते हैं !!
सजदे की हर विर्द में और,
मूमल सी कहानी किस्सों में !
किरदार मौहब्बत के जिंदा हैं,
कायनात के हिस्सों में !!
अपने-अपने तय कर बैठे,
सब मैयार कहानी के !
जज्बातों को तोल रहे हैं,
सब बाजार कहानी के !!
जितने पन्ने पलट के देखो, उलझन उतनी बढ़ती है,
जितनी बार मिलोगे जिससे, अलग मुखौटा रखते हैं !
बदनाम मोहब्बत उनसे है, जो इश्क अधूरा करते हैं !!
✍️ लोकेन्द्र ज़हर
*रावी- कुशल, ऐक्सपर्ट