जो आया, वो जाएगा
इस विशालकाय लोक में ,
जो आया, वो जाएगा ,
पर मत त्रासों जाने से ,
जाना तो लिखित हमारा ,
जैसे आनंद से आये हो ,
वैसे आनंद से जाओ तुम ,
पर मत स्वर्गारोहण ऐसे ,
जैसे रीझता वसुधा पर ,
नित्य अनगिनत नर – मनुज ,
तुम कुछ ऐसा आत्मीय करो ,
जिससे खलक स्मरण रखें ,
जगत में निनाद तेरा कीर्ति।
जो आया, वो जाएगा ,
पर, तुम अपना कृत्य करना ,
सच्चाई के पंथ पर पधारना ,
नीति का सदा साहचर्य निभाना ,
भर्त्सनाओं का प्रतिकर्षी गढ़ना ,
उत्कृष्टता का संस्तुति करना ,
निष्ठा से अपना प्रवृत्ति निभाना ,
पुण्य का भागीदारी गढ़ना ,
मोक्ष की उपलब्धि करना ,
फिर स्वयं इस भुवन में ,
ऊँचे स्वर में निनादेगा ,
तेरा नाम, तेरा नाम।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या