जोड़ना
जोड़ना ही जोड़ना हमको घटाना ही नहीं।
दुश्मन अपने तो कभी कही बनाना ही नहीं ।
घूमूँगा फिरूँगा भाषा सबकी समझूँगा मैं ।
पर उम्मीद किसी से ज्यादा लगाना ही नहीं।।
***** आलोक मित्तल ‘उदित’ *****
******* रायपुर *******
जोड़ना ही जोड़ना हमको घटाना ही नहीं।
दुश्मन अपने तो कभी कही बनाना ही नहीं ।
घूमूँगा फिरूँगा भाषा सबकी समझूँगा मैं ।
पर उम्मीद किसी से ज्यादा लगाना ही नहीं।।
***** आलोक मित्तल ‘उदित’ *****
******* रायपुर *******