*जोड़कर जितना रखोगे, सब धरा रह जाएगा (हिंदी गजल))*
जोड़कर जितना रखोगे, सब धरा रह जाएगा (हिंदी गजल))
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1
जोड़कर जितना रखोगे, सब धरा रह जाएगा
यत्न सब बेकार हैं, मटका भरा रह जाएगा
2
खुद को सजाए व्यक्ति चाहे, जिंदगी भर मन लगा
प्राण निकले जिस दिवस तो, तन मरा रह जाएगा
3
खोटे सिक्के तो चलेंगे, चार दिन बाजार में
और उसके बाद फिर, केवल खरा रह जाएगा
4
संसार से हर आदमी को, एक दिन जाना लिखा
बाद में व्यवहार बस, उसका करा रह जाएगा
5
ठुंठ-सा दिखने लगा जो, एक दिन कटना उसे
पेड़ जिसमें दिल धड़कता, बस हरा रह जाएगा
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451