जोगी लेने आया भीख
**** जोगी लेने आया भीख ***
**************************
जोगी आया दर पर माँगने भीख
कासा ले हाथ आया माँगने भीख
सुंदर सुडौल सन्यासी वो तेजस्वी
किस देश दिशा से आ मांगे भीख
आवाज सुन भीतर से झट आई
कटोरी भर आटा देने आई भीख
मस्तक आभा देख ठनका माथा
देख सुन्दर मुख भूली देना भीख
आँखे लज्जाई, खड़ी मैं शर्मायी
सोचने लगी कैसे दूँ कैसे मैं भीख
मंद मंद मुस्कान मन मन्दिर मेरे
मनोस्थिति बिगड़ी जैसे दी भीख
सीना धधके मन में उलझन भारी
सोचूँ क्यूँ माँगने आया दर भीख
मनोदशा पढ़के मेरे मन की सारी
मुझसे मुझको माँगे बदले भीख
जोगी अलबेला मुझ पर गया रीझ
प्रेमजाल लगा फंसाने संग भीख
चेतन मन मूर्छा में मुर्छित अचेतन
बचने की मैं भला किससे लूँ सीख
मरती क्या ना करती हुई समर्पित
सोनजुही सी बनी कटोरे में भीख
आलिंगनबद्ध हुई मैं पानी पानी
अर्पित सारी की सारी बदले भीख
सुखविंद्र बना बेसहारा का सहारा
जोगी बन ले गया कील संग भीख
**************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)