“जोकर”…
अक्सर टूट जाता हूँ मैं इक खिलौना बनकर,
आलम भी ऐसा जैसे तकदीर दे गयी हो धोखा।।
अहसासों से लगता है कहीं बन ना जाऊं जोकर,
बेगम अधूरी ना रह जाये कहीं बादशाह को खो,कर।।
Satya shastri.Jind(HR)
अक्सर टूट जाता हूँ मैं इक खिलौना बनकर,
आलम भी ऐसा जैसे तकदीर दे गयी हो धोखा।।
अहसासों से लगता है कहीं बन ना जाऊं जोकर,
बेगम अधूरी ना रह जाये कहीं बादशाह को खो,कर।।
Satya shastri.Jind(HR)