जॉन तुम जीवन हो
तुमको पढ़ा, तुमको जाना, तो ये समझ में आया है,
कितनी बेकरारी को समेट कर तूने कोई एक शेर बनाया है।
रईसी ऐसी कि बस इशारों में मुआ हर काम हो जाए,
फकीरी ऐसी कि जो सब पाकर भी बेइंतजाम हो जाए।
हमने सुने हैं किस्से तेरी बेरुखी की ज़िंदगी से,
शोहरत पाकर भी कोई कैसे तुझसा बेनाम हो जाए।
लिखा जो तूने, कहा जो तूने, कोई ना जान सका,
तू सभी का है अभी, पर तब तुझे कोई ना पहचान सका।
आज नज़्में तेरी दास्तां बताती हैं,
कैसे गुजरी तेरी ज़िंदगी बताती हैं।
लोग कहते हैं तुझे कद्र खुद की थी ही नहीं,
काश एक दिन मेरा तुझसा गुज़र जाए कभी।
था सभी कुछ पास तेरे, फिर भी एक रंज था,
दौलत, शोहरत, तालिम सब थी, फिर भी जैसे कोई तंज़ था।
तू तेरा था मगर खुद का कभी हुआ ही नहीं,
तेरी खुदी में भी बेखुदी का जैसे कोई अंश था।
कितना डूबना होता है, डूब जाने के लिए,
घाव लगाना जरूरी है, दर्द पाने के लिए।
तुझे पढ़ा तब कहीं जाकर ये एहसास हुआ,
कितना बर्बाद होना पड़ता है खुद को बनाने के लिए।
कुछ लिखना कब आसान होता है,
जागते हैं हम जब ये जहान सोता है।
कलम चलती तो है बस मगर चलने के लिए,
कोरे कागज को बस स्याह सा काला करने के लिए।
खयाल वो नहीं जो आए और आकार चली जाए यूं ही,
लफ्ज़ वो नहीं जो दिल में ना उतर जाए यूं ही।
बड़ा मुश्किल है मतलब के दो शेर लिख जाए कोई,
वो मतलब ही क्या जो न सब के समझ में आए यूं ही।
तेरी ज़िंदगी से बेरुखी ये सिखा गई,
तेरे होकर भी ना होने का एहसास दिला गई।
कितनी बेसब्री रही होगी तेरे दिल में,
जो तुझे अव्वल दर्जे का शायर बना गई।
सभी कुछ था, मगर तुझे थी परवाह नहीं,
जो नहीं पास रहा, उसकी तुझे थी कोई चाह नहीं।
हमने देखा है औरों को खुद पर हँसते हुए,
मगर तुझमें औरों जैसी कोई इबारत नहीं।
लोग अपनी तालीम का गुमान करते हैं,
जो नहीं करते, वो दौलत का नशा करते हैं।
ठुकरा देना इन सबको अपनी लगी के लिए,
अब भला कौन इस जहां में ऐसा करते हैं।