” जॉइंट फ़ैमिली “
” अम्माँ कविता से कहो ये जॉइंट फ़ैमिली है यहाँ सबको सबके लिये करना होता है । ”
अगर अचानक कोई अलग से खाने की फ़रमाइश कर दे तो बुरा नही लगना चाहिये….गुड्डु छोटा है उसका ध्यान तो हमें ही रखना है ।
सुरेश ने अपने जेठ होने का हक़ दिखाते हुये ज़ोर की आवाज़ में कविता को सुना कर कहा ।
” कमरे से बाहर निकलती जिठानी के चेहरे पर गहरी मुस्कान छा गई ।”
अरे नही भइया ! मुझे बुरा नही लगा वो ज़रा मेरी कमर में दर्द था इसलिये गुड्डु से कह दिया की थोड़ी देर में बनाती हूँ , भईया आपसे एक बात कहनी थी कहूँ ?
हाँ हाँ बोलो !
मेरे कमरे का टी वी ख़राब हो गया है मैकेनिक कह रहा है बन नही सकता उसका पार्ट अब नही मिल रहा है….” आप तो जानते हैं कि आपके छोटे भाई को बिना समाचार देखे नींद नही आती हैं ।”
” कमरे के अंदर जाती जिठानी के चेहरे की मुस्कान गहरी से हल्की होती हुई ग़ायब हो गई । ”
” अम्मॉ बैठी हुई सब देख सुन रही थीं और सोच रही थी ‘ एक हाथ से ताली नही बजती ‘ दूसरा हाथ बढ़ाना ही पड़ता है । ”
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 15/08/2021 )