जैहिंद, ले कभी-कभी
२२१२_१२१२
रदीफ – कभी-कभी
वो तो मिले कभी – कभी !!
करते गिले कभी – कभी !!
डर है…….पड़ोसियों से ही,,
मुँह को सिले कभी – कभी !!
कुर्सी मिले……. यहाँ अगर,,
मंत्री हिले…….कभी – कभी !!
विश्वास…….खो गया कहीं,,
आशा….दिखे कभी – कभी !!
झूठों पे…….. एतवार क्या,,
सच तो ढिले कभी – कभी !!
दारू…….. मेरी तलब नहीं,,
“जैहिंद”…..ले कभी – कभी !!
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दिनेश एल० “जैहिंद”
26. 11. 2018