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2 Jul 2024 · 1 min read

जैसे-जैसे दिन ढला,

जैसे-जैसे दिन ढला,
मौन हुए साकार ।
साँसों में साँसें घुलीं,
टूटे सब इंकार ।।

सुशील सरना / 2-7-24

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