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22 Oct 2022 · 1 min read

जेब म नही पैसा पाई

जेब में नहीं पैसा पाई
*****************

धूप गई छाया आई,
मान गया माया आई।

नभ में हैं बादल आये
पुरवा चली वर्षा लाई।

घर में बैठी बूढ़ी मैया,
जेब मे नहीं पैसा पाई।

गरीबी है बुरी बीमारी,
भूखे पेट देते हैं दुहाई।

आ बैल उसे आ मार,
ताने मार देते हैं बधाई।

मनसीरत ये कैसा रंग,
लड़ते हैं लोग-लुगाई।
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 72 Views
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