जेएनयू धिक्कार तुम्हे है जेएनयू धिक्कार।
जेनयू धिक्कार तुझे है जेनयू धिक्कार।
मेमन , अफज़ल , अज़मल की है होती खूब बड़ाई,
वे शहीद हैं, भारत कातिल , मचती खूब दुहाई,
पढ़े लिखे बच्चे तेरे क्यों करते घटिया बातें,
बहस करें जितना करना है इस पर कहाँ मनाई,
लोकतन्त्र है राय बात का सबको है अधिकार,
जेनयू धिक्कार तुझे है ……………….।
तेरे प्रांगण में होती हैं देश विरोधी बातें,
उस मिट्टी की निंदा करते जिसकी रोटी खाते,
कश्मीरी पण्डित का उनको गम न पड़े दिखाई
जब जवान मरते तब तेरे लड़के जश्न मनाते,
जनता के गाढे पैसों पर यह कैसा व्यवहार,
जेनयू धिक्कार तुझे है…………………।
जिसका नाम मिला उसके वंशज की हरकत देखो,
संग खड़ा वह गद्दारों के उसकी हिम्मत देखो,
नहीं अकेला साथ हैं उसके साथी ढेरों सारे,
वोटों की खातिर करता है कितनी मेहनत देखो,
क्यों न दिखलाते इन सबको तुम बाहर का द्वार,
जेनयू धिक्कार तुझे है…………………..।
कभी तुम्हारा आँगन चन्दन वन सा महका होगा,
आज वहीं नारा, हर घर में अफज़ल पैदा होगा,
अब भी बरती लापरवाही तो यह तुम भी सोचो,
कल को तेरे गलियारे में कैसा बलवा होगा,
आज देखकर हालत तेरी देश रहा चीत्कार,
जेनयू धिक्कार तुझे है…………………..।