Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Mar 2023 · 3 min read

जूता

जूता (हास्य व्यंग्य)
_________________________
वह जमाना और था, जब लोग किसी पर गुस्सा होते थे और अपने पैर से जूता निकालकर उसके ऊपर फेंक देते थे । तब जूता सस्ता होता होगा । एक चला गया, कोई बात नहीं । आदमी ने दूसरा खरीद लिया। अब महंगाई का जमाना है । एक जोड़ी जूता खरीदने से पहले दो बार सोचना पड़ता है ।
जूता खरीदना अपने आप में एक बड़ी खरीदारी है । आदमी जब जूते की दुकान में जूते खरीदने के लिए प्रवेश करता है, तब वह चेहरे पर गर्व का भाव लिए हुए होता है। अगर रास्ते में कोई मिल जाए और पूछे कि कहॉं जा रहे हो, तब व्यक्ति को गर्व के साथ यह बताते हुए आनंद आता है कि हम जूते खरीदने के लिए जा रहे हैं । जूता खरीदने का काम भी बड़ा कठिन है । एक से एक शानदार जूते आजकल दुकानों पर मिल रहे हैं । इतने महंगे कि सुनकर आदमी का दिल बैठ जाए।
जूता खोना या जूता चुराना अगर हिंदी में कहावत के रूप में स्थापित नहीं हुआ, तो इसका मुख्य कारण पुराने जमाने में जूते का महत्वहीन होना ही था । जूता सस्ता होने के कारण ही ‘जूते खाना’ एक कहावत के रूप में स्थापित हुआ । जूते का भी कोई महत्व होता था ! पहना, उतारा, फेंक दिया । अगर आज हम जूते के आधार पर नई कहावतों की रचना के बारे में विचार करें तो ‘जूता खोना’ अथवा ‘जूता चोरी होना’ एक ऐसी कहावत होगी जिसका अभिप्राय भारी दुख होना, गहरा सदमा पहुॅंचना या बहुमूल्य वस्तु से वंचित हो जाना माना जाएगा।
अब तो यह पुराने किस्से-कहानियों की बात होकर रह गई है कि लोग कभी क्रोधित होने पर पैर का जूता उठाकर फेंक देते थे । यद्यपि नेताओं के ऊपर अभी भी जूता फेंकने की घटनाऍं होती रहती हैं । लेकिन इससे हम जूते को महत्वहीन नहीं बता सकते बल्कि जूते का महत्व इस दृष्टि से और भी बढ़ जाता है कि उसका उपयोग बड़े-बड़े नेताओं पर फेंकने के लिए किया जाता है।
जूता चोरी होने का डर व्यक्ति को हमेशा रहता है। कई लोग अपने फटे-पुराने जूते भी सॅंभाल कर रखते हैं और ऐसे स्थान पर जाते समय उन्हें पहनते हैं, जहॉं जूते चोरी होने की संभावनाऍं रहती हैं । अगर आप किसी बड़े आदमी को फटा हुआ जूता पहनकर सड़क पर जाते हुए देखें तो शत-प्रतिशत रूप से यह अनुमान लगा सकते हैं कि वह किसी जूता-चोरी स्थल पर जा रहा है ।
महॅंगे जूते के चोरी होने के बाद व्यक्ति स्वयं को लुटा-पिटा महसूस करता है । पैर में चोट लग जाए तो शायद इतना दुख नहीं होगा, क्योंकि पैर की चोट तो दो-चार दिन में ठीक हो जाएगी लेकिन अगर बढ़िया जूता चोरी हो जाए तो व्यक्ति को उसके वियोग का दुख कई महीने तक सालता रहता है । वह दशकों बाद भी अपने जूते के चोरी होने की घटना को नहीं भूल पाता । संस्मरण सुनाते समय उसके हृदय में विराजमान गीलापन आप महसूस कर सकते हैं । आदमी को अपना चोरी हुआ जूता कभी नहीं भूलता।
—————————————-
लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

155 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
कमबख्त ये दिल जिसे अपना समझा,वो बेवफा निकला।
कमबख्त ये दिल जिसे अपना समझा,वो बेवफा निकला।
Sandeep Mishra
यूनिवर्सिटी के गलियारे
यूनिवर्सिटी के गलियारे
Surinder blackpen
कहाँ है मुझको किसी से प्यार
कहाँ है मुझको किसी से प्यार
gurudeenverma198
*लफ्ज*
*लफ्ज*
Kumar Vikrant
श्री राम भजन
श्री राम भजन
Khaimsingh Saini
सवालिया जिंदगी
सवालिया जिंदगी
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
शिक्षा तो पाई मगर, मिले नहीं संस्कार
शिक्षा तो पाई मगर, मिले नहीं संस्कार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
Manoj Mahato
पापा आपकी बहुत याद आती है
पापा आपकी बहुत याद आती है
Kuldeep mishra (KD)
जीवन में सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मैं स्वयं को मानती हूँ
जीवन में सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मैं स्वयं को मानती हूँ
ruby kumari
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो
Basant Bhagawan Roy
आत्मा
आत्मा
Bodhisatva kastooriya
बेशर्मी
बेशर्मी
Sanjay ' शून्य'
प्रेम
प्रेम
Shyam Sundar Subramanian
*गुरु (बाल कविता)*
*गुरु (बाल कविता)*
Ravi Prakash
व्यस्तता
व्यस्तता
Surya Barman
🦋 *आज की प्रेरणा🦋
🦋 *आज की प्रेरणा🦋
Tarun Singh Pawar
"औरत ही रहने दो"
Dr. Kishan tandon kranti
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
Mahendra Narayan
बाबा तेरा इस कदर उठाना ...
बाबा तेरा इस कदर उठाना ...
Sunil Suman
हार को तिरस्कार ना करें
हार को तिरस्कार ना करें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
VINOD CHAUHAN
#DrArunKumarshastri
#DrArunKumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आँख मिचौली जिंदगी,
आँख मिचौली जिंदगी,
sushil sarna
प्यार हुआ कैसे और क्यूं
प्यार हुआ कैसे और क्यूं
Parvat Singh Rajput
■ जिंदगी खुद ख्वाब
■ जिंदगी खुद ख्वाब
*Author प्रणय प्रभात*
किस्मत की लकीरें
किस्मत की लकीरें
umesh mehra
शिशिर ऋतु-३
शिशिर ऋतु-३
Vishnu Prasad 'panchotiya'
भारत मां की पुकार
भारत मां की पुकार
Shriyansh Gupta
हिन्दी दोहे- इतिहास
हिन्दी दोहे- इतिहास
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Loading...