नहीं भूलूँगी…
पापा का स्नेह, प्यार, आशीर्वाद और,
माँ के आँचल की छाँव नही भूलूँगी।
भूल जाऊँ शायद उस ख्वाब के शहर को,
पर कभी अपना गाँव नहीं भूलूँगी।
बचपन की शरारतें और मस्तियाँ,
उन सभी दोस्तों के नाम नहीं भूलूँगी।
जिन लोगों ने सहारा दिया है मुझे
उनके कभी अहसान नहीं भूलूँगी।
बारिश से जुड़ी तो यादें कई हैं,
पर वो कागज वाली नाव नहीं भूलूँगी।
इस दुनिया में बनावटी रिश्ते बहुत देखे हैं,
परिवार का स्नेह और लगाव नहीं भूलूँगी।
लिखना मेरी हसरत, मेरी चाहत है,
मेरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा है।
ये एक खूबसूरत सा सफर है,
इससे जुड़ा एक यादगार किस्सा है।
जिंदगी की बनी- बिगड़ी हर परिस्थिति में,
लिखने को लेकर अपना जुड़ाव नहीं भूलूँगी।
पापा का प्यार…
माँ के आँचल …
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