जुल्फ
बिखरने दो इन जुल्फो को , आज़ाद ही रहने दो ।
तुम मुझे…, मेरे मन को बांध सकते हो ।
पर में किसी को बांधे रखु , ये मुझसे नहीं होगा ।
सुनो…..!
तुम है.. ना
अपनी इन जुल्फो को ज़रा संभाल के रखा करो ।
वक्त बेवक्त मुझें तुममें उलझना पड़ता है ।।
और में टहरा सीधा साधा ।
फिर मुझे तुम्हे समझने में टाइम भी बहुत लगता है ।।