जुर्म का जन्म
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आज के युग में हर किसी ने अपने चेहरे पर अनगिनत नकाब ओढ़ रखे हैं जो अपने निजी स्वार्थ -जरूरतों के हिसाब से बेपर्दा होते हैं और उस पर कमाल ये की यही शख्स कहते हैं की जमाना बहुत ख़राब है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की नख से शिखर तक झूट में लिप्त व्यक्ति के लिए किसी की पीड़ा -दर्द -अहसास –मजबूरी -हालात -गम -तकलीफ कोई मायने नहीं रखते ,मायने रखता है तो फिर एक नया झूठ -नई कहानी -नया बहाना और एक बात ये झूठ की खातिर अपने ईश्वर -रिश्तों तक की बलि चढ़ा देते हैं ..पर ईश्वर का न्याय …
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिंदगी में एक ऐसा दौर भी आता है जब इंसान को लगता है की वो अपनी सारी परेशानियों को बेच दे क्यूंकि तब कई तरीकों से मौत सस्ते और किफायती दामों पर मिल रही होती है …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की हालात इंसान को वो बना देते हैं जो उसने कभी ख्वाब में भी कल्पना नहीं की होती और जो वो कभी था ही नहीं ,जुर्म का जन्म कुछ व्यक्तियों की इंसानियत से गिरी हुई हरकतों द्वारा होता है …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान