-: { जुम्बिश } :-
मोहब्बत के सफर में ,तन्हाई मिली मुझे ,
महफ़िल और कहकहे हिस्से तेरे ,,
मेरे दामन को खबर ,तक न हुई ,,
उसमे जाने कितने , छुपे हुए दाग थे तेरे,,
अपनी हर खुशी ,धूप में जला डाली मैंने ,
ताकि हर खुशी तारे ,सी चमके आँगन तेरे ,,
तेरी छवि कुछ यूं, बसा रखी थी आँखों में ,
तू पल-पल बदलता रहा, कहाँ समझे हम इशारे तेरे ,,
दिल मे बहुत ज़ुम्बिश , सी हो रही थी ,
जब भीड़ में भी ,चर्चा हो हो रहे थे तेरे ,,
चल हम रुसवा हो कर , जी लेगे ज़िन्दगी ,
मोहब्बत में सारी , कसमे भी तेरे ,,