जुमलों के सब सौदागर…
जुमलों के सब सौदागर
कब चाहें जन कल्याण
सिर्फ ढिंढोरा पीटना ही
इन सबका लक्ष्य प्रधान
भलीभांति मालूम उन्हें है
अपनी रणनीतिक खामी
फिर भी जनता के बीच में
बनें वो जनहित के अनुगामी
रीति नीति से सदैव पोसते
पूंजीवाद की लकदक बेल
सिर्फ भाषणों में सदा चलाया
करते प्रखर राष्ट्रवाद की रेल
अब चुनाव की घड़ी में सबको
करना होगा संजीदगी से मतदान
वर्ना पांच साल तक देने पड़ेंगे
सबको और भी कड़े इम्तिहान