जुनून मुझमें देशभक्ति का
जुनूँ मुझमें देश भक्ति का देश से ही दिल लगाया है
बन्दगी करता हूँ माता की जों जन्म हिन्द में पाया है
तबस्सुम सजाकर लबों पे राष्ट्रगीत का मान करता हूँ
हुनर नेकियों का जनाब अपने माँ बाप से ही आया है
खुशबू आती जिस्म है से तेरे क्यों,दूर से लोग कहते
इस वतनपरस्ती का ठेका सिर्फ तूने ही क्यों उठाया है
मेरी मिट्टी के इत्र की चर्चा बड़ी ही मशहूर बाजारों में
फूलों को भी जलन होती क्यों माटी से तिलक लगाया है
चन्द रिश्ते चन्द जिम्मेदारीयां भी नहीं निभा सकते हम
बेड़ा देश सेवा का जबसे हमने एप्ने कांधे पर उठाया है
मेरी फितरत नहीं कुछ भी जमाने से छुपाने को यारों
जहाँ भी गया हिंदी है हम वतन यही जोर जोर से गाया है
जय हिंद जय भारत
अशोक सपड़ा हमदर्द