जुदाई
???ललित छंद???
जुदाई, ये जुदाई सहना,
मुश्किल है कन्हाई।
तुझ से दूर-दूर यूँ रहना,
दर्द भरी तन्हाई।। 1
नजरें जहाँ कहीं भी डालूं,
तेरी ही छवि पाई।
पलकें बंद करूँ या खोलूँ,
झाँकी नयन समाई।। 2
पल-पल याद सताये तेरी,
देख आँख भर आई।
उस पर बारिश की ये बूँदें,
प्रणय वेदना लाई।। 3
प्रेम का प्यासा विरह ज्वाला,
तन-मन अगन लगाई।
मन का पंछी हुआ बावरा,
धीर कहीं ना पाई।। 4
सांझ बनी है सौतन बैरी,
पपीहा हुक उठाई।
राग-रागिनी मन बहकावे,
विचलित मन अकुलाई।। 5
मन व्याकुल कुछ भी ना भाये,
जान मेरी दुहाई।
तुझे देखने को दिल तरसा,
कैसे सहे जुदाई।। 6
????—लक्ष्मी सिंह ?☺