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21 May 2024 · 1 min read

जुदाई

होंठो पे लिए मुस्कान
तुम्हारा दर्द छुपाये बैठा हूँ
आश भले झूठी हो पर मै
आश लगाए बैठा हूँ
होंठो पे लिए———

कोई हाल जो मेरा पूछे तो
हाल बताता अच्छा हूँ
पर तेरे जुदाई का दिल में
नासूर छुपाये बैठा हूँ
होंठो पे लिए———

सूरज की पहली किरण हो
या ढलते दिन का अँधेरा हो
पता नहीं कब क्या गुज़रा
मै जाम लगाए बैठा हूँ
होंठो पे लिए———

हर एक तमन्ना तुमसे थी
तुमसे थे बंधे अरमान मेरे
अपने अरमानो की चिता
मै खुद ही सजाये बैठा हूँ
होंठो पे लिए———

मै क्या बोलू और किससे कहू
कुछ समझ नहीं आता हमको
मै ग़म के तुफानो में एक दीप
जलाये बैठा हूँ
होंठो पे लिए———

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